नई दिल्ली । सरकार नई दवाओं के मूल्य आकलन प्रक्रिया के तरीके में बदलाव की योजना बना रही है। इससे गैर आवश्यक अथवा सामान्य दवाएं भी मूल्य नियंत्रण दायरे में आ सकती हैं। शीर्ष फार्मा इंडस्ट्री इकाई के एक कार्यकारी ने यह जानकारी दी है।
रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय ने गत सप्ताह एक बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स (डीओपी) नई दवाओं की कीमतों के मंजूरी के तरीके में बदलाव लाने पर विचार कर रहा है।इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (आइपीए) के महासचिव डीजी घोष ने बताया, 'यह प्रस्ताव नई दवाओं के लिए बिक्री मूल्य के खुदरा मूल्य से छुटकारा पाने से संबंधित है। इसमें गैर-आवश्यक दवाओं को मूल्य नियंत्रण के तहत और कम करने की संभावना भी है।'
इससे पहले सरकार ने पुष्टि की थी कि नई दवाओं के लिए उनके मूल्यों की मंजूरी के तरीके में बदलाव पर विचार किया जा रहा है। घोष ने बताया कि डीओपी को राष्ट्रीय औषध मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा नई दवाओं की कीमतों के निर्धारण में देरी के मुद्दे को हल करना चाहिए। मालूम हो, मूल्य नियंत्रण दायरे में नहीं आने वाली औषधियों के संबंध में निर्माता दवाओं के दाम हर साल दस फीसद बढ़ा सकते हैं।
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