Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध , तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज समेत अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इन सभी प्रकार के कर्मकाण्ड को करने से पितरों को आत्म शांति का अनुभव होता है और वे हमारे लिए सुख-समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करते हैं। वहीं इन कर्मकाण्ड को करने से हमें पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है, लेकिन अगर आप पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के निमित्त इस प्रकार के कर्मकाण्ड नहीं कर पा रहें हैं और आप किसी प्रकार से पितृदोष से पीड़ित हैं तो आप पितृ पक्ष में पितृस्तोत्रम का पाठ करके भी पितृदोष से निजात पा सकते हैं। तो आइए एक क्लिक में करें पितृस्तोत्रम का पाठ।
पितृस्तोत्रम्
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।1!!
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।2!!
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।3!!
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।4!!
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।5!!
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।6!!
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।7!!
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।8!!
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।9!!
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त ।।