कोरोना: मधुमेह के मरीजों को संक्रमण का ज्यादा खतरा, नए शोध में खुलासा

जानकारों की माने को कोरोना वायरस की वजह से मधुमेह के रोगी ज्यादा खतरे में हैं। डायबिटीज के मरीजों के शरीर में ब्लड ग्लूकोज पर असर पड़ा है। इसके पीछे कारण यह है कि वो चिकित्सकों के संपर्क नहीं कर पा रहे हैं और ना ही संक्रमण के डर से अस्पताल जा पा रहे हैं।



कम आय, इंसुलिन की कमी, ग्लूकोज स्ट्रिप्स और ज्यादा वजन बढ़ जाने से दवाई का अनुपालन नहीं हो रहा है। प्रमुख भारतीय मधुमेह और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के संघ एक पेपर में पांच संभाविक परिदृश्यों की रुपरेखा दिखाई गई है, जो कोरोना संक्रमण मरीजों में हाई शुगर लेवल और जटिलताओं और मृत्यु को रोकने के लिए एक्शन प्लान की सिफारिश करता है।
जानकारों के संघ के प्रमुख अनूप मिश्रा का कहना है कि डायबिटीज से कोरोना होना का डर नहीं है लेकिन अगर किसी को डायबिटीज है और वो कोरोना वायरस की चपेट में आ जाता है तो उस पर गंभीर बीमारी, जटिलताओं और मृत्यु का खतरा बना रहता है।

डायबिटीज के साथ कोविड-19 से मरने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण टी सेल्स इम्यूनिटी का खत्म होना है। फॉर्टिस सेंटर ऑफ एक्सलेंस फॉर डायबिटीज के चैयरमेन मिश्रा का कहना है कि अस्पताल में भर्ती करने पर हाई ब्लड ग्लूकोज हाल ही में वजन बढ़ने या अनपेक्षित मधुमेह की वजह से हो सकता है।

कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों को मधुमेह नहीं है, उनको कोरोना होने के बाद डायबिटीज की शिकायत हो जाती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे - अस्वस्थ खानपान, कोई व्यायाम नहीं, स्टेरॉयड का इस्तेमाल और मानसिक परेशानी।

दिल्ली में किया गया हमारा शोध बताता है कि लॉकडाउन के दौरान 40 फीसदी लोगों का वजन बढ़ा है, जिसमें से 49 दिनों के लॉकडाउन में 16 फीसदी लोगों ने दो से पांच किलो बढ़ाया है। एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी के प्रोफेसर निखिल टंडन का कहना है कि अस्पताल में भर्ती के दौरान मरीज में मधुमेह के रोग के होने का पता चलना असामान्य नहीं है।

शोध का कहना है कि कोविड -19 संक्रमण और अन्य मौसमी फ्लू में डेक्सामेथासोन का अनुचित इस्तेमाल हाइपरग्लेसेमिया के खतरे को बढ़ाता है। इसके अलावा गर्भधारण के दौरान हाइपरग्लेसेमिया का होना। इस पर मिश्रा कहते हैं कि हम गर्भवती महिलाओं को टेली कंसल्टेशन के जरिए सलाह देते हैं कि प्रयोगशालाओं से बचें और मधुमेह को नियंत्रण में रखें।
90% मधुमेह रोगियों को प्रभावित करने वाला चौथा परिदृश्य पहले से मौजूद मधुमेह और इसकी जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर मधुमेह को नियंत्रित करना है। पांचवा परिदृश्य डायबिटीज की शुरुआत है, जो कि कोरोना की वजह से ज्यादा रिपोर्ट किए जा रहे हैं। क्योंकि अब एस-2 (Ace-2) रिसेप्टर्स मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर रहे हैं।


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