जबलपुर में 15 मिनट में बदले गए 3 पुलिस अधीक्षक, लगी थाना प्रभारियों की क्लास

जबलपुरः मध्यप्रदेश के जबलपुर में मंगलवार को 15 मिनट में 3 एसपी बदले गए. इन सभी एसपी का कार्यकाल 5 मिनट का रहा. दरअसल, जबलपुर के एसपी अमित सिंह ने एक प्रयोग के चलते 5-5 मिनट के लिए तीन बच्चों को एसपी का कार्यभार सौंपा. ऐसे में 5 मिनट के लिए ही सही एसपी बने इन बच्चों ने थाना प्रभारियों की फोन पर ही क्लास भी लगा दी. सौरभ, सिद्धार्थ और राकेश नाम के इन 3 बच्चों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ये एसपी बनेंगे, लेकिन इनके सपनों को पंख मिले और इनका सपना साकार भी हुआ.
इनके सपनों को उड़ान देने के लिए जबलपुर के "सिंघम" अमित सिंह ने ये अनोखा प्रयोग किया. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तमरहाई के ये बच्चे पुलिस अधीक्षक के पास स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना के तहत पहुंचे थे.
इस स्टूडेंट पुलिस फौज का गठन अमित सिंह ने सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देने के लिए किया है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय के अंदर दर्जनों बच्चों के बीच SP अमित सिंह ने बच्चों से पूछा कौन-कौन एसपी बनेगा. पीछे बैठा सौरभ उठा और बोला मैं बनूंगा एस पी. फिर क्या था 5 मिनट के लिए सौरभ को कुर्सी पर बकायदा अमित सिंह ने बैठाया और फिर पूछा की कैसे करोगे काम. सौरभ ने बताया की मेरे घर पास शराब और गांजे की बिक्री हो रही है. ऐसे में सीधे थाना प्रभारी को कॉल लगाया गया और सौरभ ने थाना प्रभारी को कार्रवीई के आदेश दिए.
साथ में खड़े एसपी अमित सिंह ने भी थाना प्रभारी को आदेश दिए कि एसपी सौरभ के आदेश का पालन हो. वहीं सौरभ के एसपी के कार्यभार को संभालने के 5 मिनट के एसपी के बाद सिद्धार्थ ने चार्ज लिया. और अपने इलाके में जुआ और नशे के कारोबार को रोकने के लिए थाना प्रभारी को आदेश दिए.
अब मौका था तीसरे एसपी का. राकेश ने तीसरे एसपी के तौर पर कमान संभाली और अपनी मां की सुरक्षा के लिए घर पर फोन लगाया. दरअसल, राकेश का पिता उसकी मां की शराब के नशे में पिटाई करता था. लिहाजा उसने पिता को ही सुधारने की सोची.
इन 5,5 मिनिट के समय में ये बच्चे पुलिस के सबसे बड़े चेहरे बन कर सामने आए जो बिना किसी भय के अपने इलाके के अपराध को खत्म करने के लिए आगे आ रहे थे.
इनको वह जानकारी थी, जो थाना प्रभारी को भी नहीं थीऔर इसी नेटवर्क को बनाने के लिए अमित सिंह ने इन बच्चों को चुना था. जिनके सपने बड़े हों, ये गरीब बच्चे छोटी उम्र से सही दिशा को पकड़ें यही इस पहल का संकल्प था.

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