अरुण जेटली का 66 साल की उम्र में निधन, रविवार को निगमबोध घाट में होगा अंतिम संस्कार

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली का निधन हो गया है। उन्होंने दोपहर दिल्ली एम्स में 12 बजकर सात मिनट पर आखिरी सांस ली। जेटली एम्स में पिछले कई दिनों से भर्ती थे। विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनका इलाज कर रही थी। उनके निधन के बाद भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा एम्स पहुंच गए हैं।

वहीं जेटली के निधन की खबर सुनने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपना हैदराबाद दौरा खत्म कर दिया है। पूर्व वित्त मंत्री का निधन ऐसे समय पर हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार से बात की और उन्होंने उनसे अपना विदेश दौरा खत्म न करने की अपील की है। 


जेटली के पार्थिव शरीर का रविवार को दिल्ली के निगमबोध घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह जानकारी भाजपा नेता सुधांशु मित्तल ने दी। इससे पहले उनके शव को एम्स से उनके कैलाश कॉलोनी स्थित आवास पर लाया जाएगा। इसके बाद उसे भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा ताकि राजनेता उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।

डॉक्टर ने बताया कि जेटली की तबियत अचानक रात को  बिगड़ गई थी। देर रात उनके पेट में संक्रमण फैल गया था। काफी मशक्कत के बाद भी डॉक्टर उनकी रिकवरी करने में नाकामयाब रहे। सुबह कई टेस्ट करने और हैवी डोज देने के बावजूद भी उनका शरीर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। 

66 साल के जेटली को सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद नौ अगस्त को एम्स लाया गया था। एम्स ने 10 अगस्त के बाद से जेटली के स्वास्थ्य पर कोई बुलेटिन जारी नहीं किया था। जेटली ने खराब स्वास्थ्य के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था।
जेटली जब अस्पताल में भर्ती थे तो उनसे मिलने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, भाजपा सांसद मेनका गांधी, असम के राज्यपाल प्रो जगदीश मुखी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एम्स पहुंचे थे।

पेशे से वकील जेटली ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान अहम जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने वित्त के साथ कुछ समय के लिए रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई। वह कई मौकों पर सरकार के संकटमोचक भी बने। इस साल मई में उन्हें इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। 

पिछले साल 14 मई को उनका एम्स में गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था। जेटली पिछले साल अप्रैल से वित्त मंत्रालय नहीं जा रहे थे। हालांकि वह 23 अगस्त, 2018 को दोबारा अपने मंत्रालय पहुंचे थे। उनकी गैर मौजूदगी में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोलय को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

सॉफ्ट टिश्यू के कैंसर थे पीड़ित

जनवरी 2019 पूर्व वित्त मंत्री को सारकोमा (फेफड़ा) में सॉफ्ट टिश्यू मिले थे। इसे लेकर उन्हें न्यूयार्क के डॉक्टरों की सलाह लेनी पड़ी थी। इसके बाद से उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था। डॉक्टरों के कहने पर वे कई महीने से आइसोलेशन में रह रहे थे। बाहर आने-जाने को लेकर भी डॉक्टरों ने उन्हें खास हिदायतें दे रखी थीं। रिश्तेदारों, परिजनों और करीबियों को छोड़ बाकी लोगों से उन्होंने दूरी बनाई हुई थी। 

मोदी के बाद थे दूसरे नंबर के नेता

जेटली की गिनती प्रधानमंत्री के बाद दूसरे नंबर के नेताओं में होती थी। बतौर वित्त मंत्री जेटली ने आम बजट और रेल बजट को एकसाथ पेश करने की व्यवस्था लागू की। इतना ही नहीं, गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को पूरे देश में लागू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। बतौर वित्त मंत्री वो हमेशा कहते थे कि जिस तरह से बीमारी को जड़ से ठीक करने के लिए कई बार कड़वी दवा पीनी पड़ती है। ठीक वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भी कड़वी दवा जैसे फैसले लेने होंगे।

बनना चाहते थे चार्टर्ड अकाउंटेंट 

श्रीराम कालेज से कामर्स स्नातक रहे अरुण जेटली कभी चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे। उन्होंने परीक्षा भी दी थी, लेकिन कहा जाता हैं कि उनके भाग्य में कुछ और लिखा था। छात्र नेता से हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकील बने अरुण जेटली 2014-2019 तक मोदी सरकार की कैबिनेट में ताकतवर मंत्री बने। इसके अलावा वह कई मौके पर केंद्र सरकार के संकट मोचक भी बने थे।

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