अपने हिस्से का नर्मदा का पानी लेकर रहेगा गुजरातः मुख्यमंत्री

अहमदाबाद | मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने नर्मदा का पानी गुजरात को नहीं देने के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल के बयानों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, जानकारी के अभाव वाला और राजनीतिक बदनीयती से प्रेरित बताया है। रूपाणी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऐसे बयानों की प्रतिक्रिया में स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनावों में हुई अपनी हार को पचा नहीं पा रही है, इसलिए अब ऐसे हताशा भरे बयानों के जरिए प्रत्येक वस्तु का राजनीतिक तौर पर मूल्यांकन करने के प्रयास की मानसिकता को उजागर कर रही है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भी कांग्रेस की सरकारों ने नर्मदा के मुद्दे पर गुजरात के साथ कई बार अन्याय किया है। सात-सात सालों तक बांध पर दरवाजे लगाने की अनुमति नहीं दी गई, बांध की ऊंचाई बढ़ाने नहीं दी गई और बांध का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने दिया। कुल मिलाकर पानी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस राजनीति करती ही आई है। उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को जानकारी के अभाव वाले बचकाने बयान न देने और पानी जैसे अहम मुद्दे पर राजनीति न करने का मशविरा देते हुए पानी के बंटवारे के संबंध में मीडिया को तथ्यात्मक जानकारी दी। रूपाणी ने इस संदर्भ में स्पष्ट किया कि नर्मदा के पानी का बंटवारा नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के 1978 के फैसले के आधार पर चार भागीदार राज्यों के बीच हो रहा है और उसमें बदलाव करने का किसी राज्य को अधिकार नहीं है। यही नहीं, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) को सर्वोच्च न्यायालय ने भी फैसला दिया है कि पानी के इस बंटवारे में वर्ष 2024 तक कोई बदलाव नहीं हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में पुनर्विचार करने के लिए भी नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और चारों भागीदार राज्यों के प्रतिनिधि सहित केंद्र सरकार के प्रतिनिधि की संयुक्त बैठक बुलाकर उसमें निर्णय लेने का स्पष्ट प्रावधान है। लिहाजा, यह बयान कि मध्य प्रदेश पानी नहीं छोड़ेगा पूरी तरह से बचकाना है। उन्होंने मध्य प्रदेश के उन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया जिसके अनुसार गुजरात नर्मदा के जल से बिजली का उत्पादन नहीं कर रहा है और उसके चलते मध्य प्रदेश को नुकसान हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में भी तथ्यों के साथ कहा कि नर्मदा के केनाल हेड पावर हाउस से 250 मेगावाट का बिजली उत्पादन जारी है और उसका 57 फीसदी हिस्सा मध्य प्रदेश को मिल रहा है। रूपाणी ने यह भी कहा कि सरदार सरोवर डैम से जो विद्युत उत्पादन हो रहा है उसका 16 फीसदी हिस्सा गुजरात का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अप्रैल, 2019 को सभी भागीदार राज्यों की बैठक आयोजित हुई थी जिसमें यह निर्णय किया गया कि कंक्रीट ग्रेविटी डैम को पूरा भरकर उसकी और दरवाजों की टेस्टिंग की जानी जरूरी है। गुजरात ने यह निर्णय एकतरफा नहीं लिया है बल्कि एनसीए को औपचारिक प्रस्ताव देकर भागीदार राज्यों की यह बैठक बुलाने के बाद निर्णय लिया गया है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि एक बार 131 मीटर से अधिक लेवल हो उसके बाद 138.67 मीटर तक डैम धीरे-धीरे भरा जाए तो अतिरिक्त पानी से पावर हाउस चलाया जा सकेगा। 138 मीटर की ऊंचाई तक डैम को भरना और टेस्टिंग करना सभी राज्यों के हित में है इसीलिए गुजरात ने इस लेवल का आग्रह रखा है। उन्होंने कहा कि 40-40 वर्षों से चारों राज्य सहयोग और अच्छे वातावरण में जल बंटवारे सहित अन्य मुद्दों पर कार्यरत हैं, तब उस माहौल को बिगाड़ने का प्रयास मध्य प्रदेश न करे। मुख्यमंत्री ने विस्थापितों के विषय में मध्य प्रदेश के मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि गुजरात ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 2017 से अब तक सभी काम पूरे किए हैं। उन्होंने 6 हजार परिवारों का स्थानांतरण नहीं होने के मध्य प्रदेश के तर्क के संदर्भ में कहा कि 12 जुलाई को बुलाई गई बैठक में मध्य प्रदेश का कोई अधिकारी उपस्थित नहीं रहा और दोबारा 18 जुलाई की बैठक का बहिष्कार कर एनसीए के समक्ष विरोध जताया और अब वे विस्थापितों की बातें कर रहे हैं। रूपाणी ने वर्ष 2024 तक जल बंटवारे में किसी भी प्रकार का बदलाव कोई सरकार नहीं कर सकती ऐसे एनसीए व सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संदर्भ में साफ कहा कि सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक बदइरादे से मध्य प्रदेश की सरकार पानी नहीं देने का बयान दे रही है और गुजरात कांग्रेस भी उसके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने धमकी की ऐसी भाषा के प्रयोग को मध्य प्रदेश के लिए अशोभनीय करार देते हुए कहा कि नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को जनता के हित में स्वीकार करें। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस बार बारिश नहीं हो रही है, ऐसे में पानी की जरूरत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मध्य प्रदेश नर्मदा के पानी को लेकर राजनीति कर रहा है। 

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