राष्ट्रीय मछुआ दिवस पर किया गया मछुआ सम्मेलन का आयोजन

10 जुलाई 2019 को राष्ट्रीय मछुआ दिवस पर कार्यालय उप संचालक मत्स्योद्योग बालाघाट में मछुआ सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में उप संचालक मत्स्योद्योग श्रीमती शशिप्रभा धुर्वे एवं मत्स्योद्योग के अधिकारियों द्वारा मत्स्य पालन से जुड़ी योजनाओं की जानकारी मछुआरों को दी गई और मत्स्य पालन करने वाले हितग्राहियों का स्वागत किया गया। ’’राष्ट्रीय मछुआ दिवस’’ के अवसर पर मत्स्रूोद्योग कार्यालय में वृक्षारोपण भी किया गया।
     ’’राष्ट्रीय मछुआ दिवस’’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मछुआ समाज संगठन के पदाधिकारी एवं जिले की विभिन्न मछुआ समितियोंके अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्य थे। इस कार्यक्रम में मछुआ समाज संगठन के पदाधिकारी श्री ईश्वरदयाल उके, श्री सहारूलाल जी मेश्राम, श्री श्यामा साधक महराज, श्री बेनी मेश्राम एवं कार्यालय के समस्त अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में बंद ऋतु प्रतिबंध, थाईलेण्ड मांगुर प्रतिबंध, बचत सह राहत एवं शासन की अन्य योजनाओं पर चर्चा की गई।
     उप संचालक मत्स्योद्योग श्रीमती शशिप्रभा धुर्वे ने मछुआरों को संबोधित करते हुए कहा कि बालाघाट जिले में मत्स्य पालन से रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध है। शासन द्वारा मछुआरों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। मछुआरों को शासन की योजनाओं का लाभ लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। मत्स्य पालन से मछुआरों को कम समय में अधिक लाभ मिलता है।  उन्होंने बताया कि जिले के मत्स्य बीज प्रक्षेत्र मुरझड़ एवं गर्रा में मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य प्रारंभ हो गया है। शासन द्वारा निर्धारित दर पर प्रमाणित मत्स्य स्पान (मत्स्य बीज) प्राप्त किया जा सकता है।
     उप संचालक श्रीमती धुर्वे ने बताया कि उनके विभाग की ओर से मछुआरों को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण देने के साथ ही मत्स्य बीज भी उपलब्ध कराया जाता है। मछली पकड़ने के लिए जाल, बाजार में मछली विक्रय के लिए आईसोलेटेड बाक्स व अन्य सामग्री प्रदान की जाती है। मत्स्य पालन के दौरान दुर्घटना में मछुआरे की मृत्यु हो जाने पर उसके परिवार को बीमा की राशि प्रदान की जाती है।
     कार्यक्रम में मत्स्योद्योग विभाग के अधिकारियों ने राष्ट्रीय मछुआ दिवस मनाने के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में पहले मछलियों का बीज कृत्रिम तरीके से नहीं निकाला जाता था। 1980 के दशक में पहली बार 10 जुलाई के दिन ही मादा मछलियों को इंजेक्शन के द्वारा प्रेरित कर कृत्रिम वातावरण में प्रजनन करा कर मत्स्य बीज तैयार करने में सफलता हासिल की गई थी। तब से हर वर्ष 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछुआ दिवस मनाया जाता है। मछुआरों से कहा गया कि वे मछलियों के प्रजनन काल 15 जून से 15 अगस्त की अवधि में मत्स्याखेट न करें। इससे मत्स्य उत्पादन प्रभावित होता है।
     कार्यक्रम में बताया गया कि मछुआरे अधिक मात्रा में मछलियां पकड़ने के लिए छोटे बम का उपयोग न करें। कुछ मछुआरे तालाब के पानी में जहर मिलाकर एक साथ सभी मछलियां मार लेना चाहते है। जबकि मछुआरों को ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे बहुत सी मछलियों की प्रजातियां खत्म होने लगी है। मछलियों का सावधानी के साथ पालन एवं उत्पादन करेंगें तो मछुआरे को बहुत लाभ होगा। एक मछली के विस्तार से पैदा होने वाली मछलियों को एक मछुआरे का परिवार अपने जीवन काल में कभी नहीं मार सकता है।

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