2 अप्रैल की हिंसा के बाद एक्शन में पुलिस, मेरठ के गांव से दलितों का पलायन

मेरठ दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस पर दलितों की प्रताड़ना के आरोप लग रहे हैं. इस बीच यूपी के मेरठ से हैरान करने वाली खबर सामने आई है. यहां पुलिस की कार्रवाई के बाद दलित पलायन करने को मजबूर हैं.

राजधानी दिल्ली से महज 80 किलोमीटर की दूरी पर बसे मेरठ के शोभापुर गांव में फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है. घरों के दरवाजे पर ताले लटके हैं. सड़कें सूनी हैं, गलियां सुनसान हैं. दुकानों के शटर गिरे हैं.स्कूल पर ताले लटक रहे हैं. पूरा इलाका खामोश है. क्योंकि गांव के लोग अपना घर छोड़कर यहां से जा रहे हैं.  
दरअसल, 2 अप्रैल को पूरे देश में एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव के खिलाफ हिंसा की जो आग भड़की, उसका सबसे ज्यादा असर मेरठ में देखने को मिला. हिंसा के दौरान शोभापुर गांव में भी जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई. हिंसा की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि एक दिन बाद गांव में ही एक दलित युवक की दूसरे समुदाय के लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

दलितों का पलायन जारी

इस वारदात के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को दबोच लिया. लेकिन भारत बंद के दौरान हिंसा में शामिल लोगों की धरपकड़ भी तेज हो गई. पुलिस के इस एक्शन के बाद से ही डर और गिरफ्तारी की दहशत से दलित समुदाय के लोग यहां से घर छोड़कर जाने लगे. एक साथ इतने लोगों ने अपना घर छोड़ दिया कि हालात पलायन जैसे हो गए.
हालांकि पुलिस और प्रशासन पलायन से तो इनकार कर रहा है. लेकिन गिरफ्तारी के डर से कुछ लोगों के घर छोड़ने की बात महकमे के अधिकारी जरूर मान रहे हैं. पुलिस के मुताबिक जो लोग हिंसा में शामिल रहे हैं, उन पर कार्रवाई होना लाजमी है.

फिलहाल गांव में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल के साथ आरएएफ की तैनाती कर दी गई है. लेकिन सवाल ये है कि पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी के रहते आखिर दलित समुदाय के लोग पलायन करने को क्यों मजबूर हैं?

पुलिस चौकी में लगाई थी आग

बता दें कि कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान जो हिंसा हुई थी उसमें मेरठ के कंकरखेड़ा थाने की शोभापुर पुलिस चौकी को फूंक दिया गया था. जिसके बाद पुलिस ने इलाके में जमकर लाठीचार्ज भी किया था और बाद में हिंसा के आरोप में कई लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए.

मायावती ने लगाया फंसाने का आरोप

इस संबंध में 8 अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर दलितों को फंसाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि बीएसपी की सरकार आने पर ऐसे केस वापस किए जाएंगे. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी सांसद उदित राज ने भी माना है कि 2 अप्रैल की घटना के बाद दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए थे.

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