क्या मोदी को 2014 की तरह 2019 में फिर मदद करेगा ये शख्स?

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपने पुराने चुनावी रणनीतिकार के साथ काम करेंगे? क्या प्रधानमंत्री उसी रणनीतिकार के साथ दोबारा काम करेंगे जिसने उन्हें 2014 चुनाव जिताने में अहम सहयोग किया था? क्या मोदी इस चीज को नजरअंदाज करेंगे कि उस रणनीतिकार ने कभी उनके ही विरोध में दूसरी पार्टियों के साथ काम किया? एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो नरेंद्र मोदी चुनावी कैंपेन के अपने पुराने सहयोगी प्रशांत किशोर के साथ बीते महीनों में 'पर्सनली टच' में रहे हैं. इसी के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशांत किशोर दोबारा मोदी के साथ उन्हें अगले आम चुनाव में जिताने के लिए काम करेंगे. आइए जानते हैं पूरा मामला...
एचटी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बीते महीनों में प्रशांत किशोर और पीएम मोदी की मुलाकात हुई है. सूत्र ने अखबार को बताया है कि इसकी संभावना है कि किशोर मोदी के साथ फिर से काम करें.
2012 के गुजरात चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनावों में किशोर मोदी के साथ करीब होकर काम किए थे. हालांकि, बाद में दोनों के बीच मतभेद की खबरें आईं और किशोर अलग हो गए. इसके बाद किशोर बिहार में महागठबंधन के लिए काम किए और फिर यूपी चुनाव में कांग्रेस के लिए.
एचटी के मुताबिक, किशोर की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात हुई है. इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि शाह से मतभेद के चलते किशोर 2014 के कैंपेन के बाद अलग हुए.
पीएम और किशोर की कथित मुलाकात के बारे में जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा- दोनों मिले हैं. लेकिन दोनों का साथ आना संभावित ही है. मोदी अब 2012 वाले मोदी नहीं हैं जब किशोर पहली बार उनके साथ काम किए. अब वे पीएम हैं और भारत के सबसे बड़े नेता.
रिपोर्ट के मुताबिक, उस शख्स ने आगे कहा- बीजेपी भी अब 2014 वाली पार्टी नहीं रही जब किशोर गांधीनगर से अपना कैंपेन चलाते थे. अब यह एक मजबूत पार्टी है. और किशोर भी अब पहले वाले किशोर नहीं रहे, उन्होंने अपना रास्ता अलग किया था. इसलिए कुछ भी अभी फाइनल नहीं हुआ है.
इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी चलाने वाले किशोर पर्सनल लीडरशिप ब्रांडिंग, राजनीतिक रणनीति, बड़े और छोटे कैंपेन, कम्यूनिकेशन, मैसेजिंग, स्पीच, टिकट डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर कैंडिडेट की जानकारी वगैरह देने का काम करते हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर वे वापसी करते हैं तो वे सीधे पीएम मोदी के साथ काम करेंगे. उनका काम लोगों के सपोर्ट को वोट में बदलने का होगा.
यह भी कहा जा रहा है कि 2019 का चुनाव भी एक बार फिर ब्रांड मोदी के साथ होगा. और ब्रांड मोदी के सपोर्ट को वोट में बदलने का चैलेंज किशोर के कंधे पर हो सकता है.
किशोर का एक और प्रमुख काम 2019 के वोटर्स के लिए एक नया मैसेज तैयार करने का होगा जिसके इर्द गिर्द चुनावी कैंपेन चले.
लेकिन बाद में किशोर नीतीश कुमार से अलग हो गए थे. 2016 में वे कांग्रेस के पास पहुंचे. पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने सार्वजनिक रूप से किशोर की तारीफ की थी. लेकिन यूपी में कांग्रेस को सहयोग करने के बावजूद पार्टी बेहतर नहीं कर सकी.

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