एक गिलहरी के कारण घर नहीं जा पा रहे भगवान, जानिए क्या है पूरा मामला

एक गिलहरी के कारण गौरी नंदन भगवान गणपति अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. जी हां यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इंदौर की कृष्णपुरा छत्री के पास विराजित बाहुबली गणेश विसर्जन का इंतजार कर रहे हैं. उनका यह इंतजार करीब दस दिन लंबा हो सकता है.

दस दिवसीय गणेशोत्सव अनंत चतुर्दशी पर समाप्त हो गया. हर जगह पर विराजित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी कर दिया गया. लेकिन इंदौर की कृष्णपुरा छत्री के पास विराजे बाहुबली गणेश का विसर्जन इस दौरान नहीं हो सका. श्री योगीबाबा बमबमनाथ सेवा समिति द्वारा बीते कई वर्षों से यहां गणपति की स्थापना की जा रही है. लेकिन इस वर्ष श्यामवर्णीय मूर्ति के रूप में विराजे लंबोदर एक गिलहरी की वजह से विसर्जित नहीं हो सके हैं. इस गिलहरी ने जिसने गणेश प्रतिमा की सूंड के आसपास घर बनाकर बच्चों को जन्म दे दिया. पंडाल में मंगलवार शाम ढोल-ताशों के बीच जब विसर्जन का समय आया तब तक बप्पा की सूंड रूपी गर्भ में नन्ही-नन्ही गिलहरियां जीवन पा चुकी थीं. आयोजक असमंजस में रहे कि मुहूर्त में विसर्जन करें या नन्हे जीवों को बचाएं. आखिर नन्ही गिलहरियों के लिए बप्पा का विसर्जन नहीं किया गया. अब गिलहरियों को सुरक्षित आसरा देकर ही बाहुबली विदा होंगे.

आयोजकों का मानना है कि जब गिलहरी के बच्चे आहार लेने की स्थिति में आ जाएंगे, तभी गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि 8-10 दिनों बाद लंबोदर का विसर्जन संभव हो सकेगा. इस बीच सुबह और शाम को भगवान गणेश की विधिवत आरती व पूजन का दौर जारी रहेगा.

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