5 साल पालने के बाद ही गोद लिए बच्चे पर पैरंट्स का होगा पूरा हक

नई दिल्ली
यामिनी और उनके पति भानू भंडारी और सिंगल मदर चारुलता शर्मा ने हाल में बच्चा गोद लिया है। लेकिन अभी वे अपने बच्चों का नामकरण तक नहीं कर सकते। यही नहीं, न तो उनके जन्म प्रमाणपत्र या अन्य दस्तावेजों पर अपना नाम दे सकते हैं। इसके लिए उन्हें 5 साल लंबा इंतजार करना होगा। बच्चा गोद लेने के लिए एक नया कानून बनाया गया है जिसके तहत ऐसा करना होगा। इससे पैरंट्स भी परेशान और चिंतित हैं।

भानू और यामिनी 24 जून को 4 साल की परी के फॉस्टर पैरंट यानी पालक अभिभावक बने थे। इसी तरह चारु भी 6 साल की चांदनी की फॉस्टर पैरंट हैं। चांदनी, 24 जनवरी को चारु के घर आई थी। द मॉडल गाइडलाइंस फॉर फॉस्टर केयर 2016, जारी होने के बाद ये दोनों ऐसे पहले बच्चे होंगे, जिन्हें महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से उनके गार्जियंस के सुपुर्द किया जाएगा।

बच्चे का नाम नहीं बदलेगा
बच्चों का अपने परिवार से पुनर्मिलन होने तक वे अपने फॉस्टर पैरंट्स के साथ रहेंगे। 5 साल तक पालन-पोषण के बाद ही इन अभिभावकों का बच्चों पर पूरा अधिकार हो सकेगा। पालक देखभाल दिशा निर्देश के अनुसार, अनाथालय द्वारा दिया गया नाम ही 5 साल तक बच्चे का नाम होगा और गोद देने वाली संस्था उसकी कानूनी अभिभावक बनी रहेगी। लेकिन बच्चे के पालन पोषण का खर्च, उनकी शिक्षा और मेडिकल खर्च उनके पालक अभिभावक को वहन करना होगा।
कानूनी बाधा से परेशानी
परी और चांदनी दोनों को जन्म देने वाली मांओं का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। ये महिलाएं उदयपुर में मनोरोगियों के देखभाल केंद्र में रहती हैं। एयर इंडिया में कार्यरत चारु ने कहा कि कानूनी अधिकारों की कमी उनके बच्चे के लिए बैंक खाता खोलने और एक परिवार के सदस्य के तौर पर हर हक दिलाने में बाधक बन रही है।

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