चुनाव में 'बिजली' का झटका लगने से डरी शिवराज सरकार, उठाया ये कदम

बिजली के मु्द्दे पर मध्यप्रदेश में उपभोक्ताओं में बढ़ रही नाराजगी के बाद राज्य सरकार डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. सीएम शिवराज के बिजली बिलों से लेकर मिल रही दूसरी शिकायतों पर नाराजगी के बाद अब पूरा बिजली महकमा गांव-शहरों में बिजली से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए मैदान में उतरेगा.

बिजली के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के लगातार हो रहे हमले के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पूरे महकमें को मैदान में जाने के निर्देश जारी कर दिए है. बिजली के बढ़े बिलों से लेकर दूसरी शिकायतों का समाधान अब मौके पर किया जाएगा. इसके लिए पूरे प्रदेश में बिजली चौपाल लगाने की तैयारी है.

गांव स्तर पर एक से तीन जून तक और शहरी क्षेत्रों में सात जून को बिजली चौपाल लगाकर बिजली शिकायतों का समाधान होगा. बिजली से जुड़े मामलों को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद सीएम शिवराज ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद हरकत में आये बिजली विभाग ने बिजली कंपनियों को गांव से लेकर शहर तक में चौपाल लगाने के निर्देश जारी किए है.

-बिजली विभाग के निर्देश के मुताबिक गांव में एक से तीन जून तक
-शहरी क्षेत्र में सात जून को बिजली चौपाल लगाकर शिकायतों का समाधान होगा.
-बिजली पंचायत में जाने वाले अधिकारियों को 20 जून तक विभाग को बताना होगा कि शिकायतों का निपटारा हुआ कि नहीं.

बिजली पंचायत में जिन शिकायतों पर सुनवाई होगी, उनमें......

-बिजली बिल
-बिजली मीटर के बंद या खराब होने
-वोल्टेज समस्या
-नये कनेक्शन की स्थिति
-ट्रांसफार्मर बदलने के मामले
-बिजली उपभोक्ता का नाम और भार बदलने के मामले
-बिजली कनेक्शन को कटवाने और
-बिजली से जुड़ी दूसरी शिकायतें शामिल होंगी.

गौरतलब है कि बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाली बीजेपी बिजली के मामले में सरप्लस होने के बाद भी बिजली की शिकायतों से परेशान है.

अगले साल होने वाले चुनाव से पहले बिजली से जुड़ी शिकायतों के मुद्दे को खत्म करने के लिए सरकार ने अब पूरे महकमें को मैदान में उतरने के निर्देश जारी कर दिए है, ताकि बिजली का करंट उपभोक्ता की नाराजगी बनकर 2018 के चुनाव में बेअसर रहे.

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