मध्य प्रदेश में आपातकाल के दौरान मीसा यानी मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्युरिटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजे गए लोगों को राज्य की सरकार 25 हजार रुपये हर महीने सम्मान निधि देती है. ये सम्मान निधि उन्हीं मीसाबंदियों को दी जाती है जो कम से कम एक महीने या फिर एक महीने से ज्यादा जेल में रहे हैं.
शिवराज सरकार ने वर्ष 2008 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम से सम्मान निधि नियम बनाया था. इसी के तहत मीसाबंदियों को सम्मान निधि प्रदान किया जाता है. बीते साल आठ अप्रैल 2016 को शिवराज सरकार ने नियमों में संशोधन कर मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया.
इसके बाद मध्य प्रदेश में मीसाबंदी लोकतंत्र सेनानी कहे जाते हैं. प्रदेश में ऐसे मीसाबंदियों की करीब ढाई हजार की संख्या है. पर्यटन निगम के चेयरमैन तपन भौमिक मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक सेनानी संघ के प्रदेशाध्यक्ष हैं.
क्या है मीसाबंदी
शिवराज सरकार ने वर्ष 2008 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम से सम्मान निधि नियम बनाया था. इसी के तहत मीसाबंदियों को सम्मान निधि प्रदान किया जाता है. बीते साल आठ अप्रैल 2016 को शिवराज सरकार ने नियमों में संशोधन कर मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया.
इसके बाद मध्य प्रदेश में मीसाबंदी लोकतंत्र सेनानी कहे जाते हैं. प्रदेश में ऐसे मीसाबंदियों की करीब ढाई हजार की संख्या है. पर्यटन निगम के चेयरमैन तपन भौमिक मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक सेनानी संघ के प्रदेशाध्यक्ष हैं.
क्या है मीसाबंदी
25 जून 1975 की आधी रात देशभर में एक अध्यादेश के बाद आपातकाल लगा दिया गया. इस दौरान संविधान के अनुसार दिए गए नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया था. बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया. जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का नियम शिथिल हो गया. कांग्रेस शासित राज्यों के मीसा कानून में एक लाख सत्ता विरोधी जेल में डाल दिए गए. राज्य में भी उन दिनों कांग्रेस की सरकार थी. मीसा का पूरा विवरण बताया गया मेंटनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्योरिटी एक्ट. इसमें की गई गिरफ्तारी को अदालत में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था. इस दौरान मीसा कानून के तहत बंदियों को मीसाबंदी कहा जाता है.
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