होलिका दहन के समय करेंगे ये काम तो होगा लाभ

होली हम भारतीयों के स्वर्णिम पौराणिक महत्व को दर्शाती तो इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी है। होली वास्तव में एक सम्पूर्ण पर्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन चैत्रकृष्ण प्रतिपदा में रंग अर्थात दुल्हैंडी का पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन की तिथि को माना जाता है सिद्ध रात्रि: होली का आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से भी बड़ा महत्व है होलिका दहन अर्थात छोटी होली की रात्रि को एक परम सिद्ध रात्रि माना गया है जो किसी भी साधना जप तप ध्यान आदि के लिए बहुत श्रेष्ठ समय होता है। होलिका दहन वाले दिन किए गए दान-धर्म पूजन आदि का बड़ा विशेष महत्व होता है। साथ ही सामाजिक दृष्टि से देखें तो भी सभी व्यक्तियों का आपस में मिलकर विभिन्न प्रकार के रंगों के द्वारा हर्षपूर्वक इस त्यौहार को मनाना समाज को भी संगठित करता है। 
- होली की पूजा में गुझिया का भोग लगाया जाता है।

- इस पूजा में गेहूं-चना अर्पित करने की प्रथा है। कहा जाता है कि जलती होली में दिया गया ये भाग सीधे भगवान तक जाता है।

- सोमवार को स्नान दान पूर्णिमा है। इस दिन दान का विशेष महत्व होगा।

- सोमवार को स्नान कर अपने इष्ट की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।

- होलिका दहन वाले दिन रात में घर में घी का दीया जलाना चाहिए।

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