मध्यप्रदेश में लागू हुए पेसा कानून के नए नियम, शिवराज के भाषण की पांच बातों से समझिए क्या बदलेगा



मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में जनजातीय समुदाय के हित में पेसा एक्ट को लागू किया गया है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश यह कानून लागू करने वाला देश का सातवां राज्य बन चुका है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र ने ही अपने पेसा कानून बनाए हैं। इस कानून का उद्देश्य जनजातीय समाज को स्वशासन प्रदा करने के साथ ही ग्रामसभाओं को सभी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाना है।

पेसा कानून क्या है?
आदिवासियों के लिए बने कानून की रीढ़ माने जाने वाले पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई है। केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र के लिए विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 कानून लागू किया। मध्यप्रदेश के बड़े आदिवासी नेता और झाबुआ के सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में समिति बनी थी। उसकी अनुशंसा पर ही यह मॉडल कानून बना था। यह बात अलग है कि 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था लेकिन देश में सबसे अधिक आदिवासियों के घर यानी मध्यप्रदेश में कानून लागू नहीं हो सका था।

1. जमीन का अधिकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह जमीन, जंगल, जल, खदानें भगवान ने सबके लिए बनाई है। यह हम सबकी है। पेसा कानून के तहत हमने जो नियम बनाए हैं, उसमें जल, जंगल और जमीन का अधिकार आपको दिया जा रहा है। हर साल गांव की जमीन, उसका नक्शा, वनक्षेत्र का नक्शा, खसरे की नकल, पटवारी को या बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखानी होगी। ताकि जमीनों में हेर-फेर न हो। नामों में गलती है तो यह ग्रामसभा को उसे ठीक कराने का अधिकार होगा। किसी भी प्रोजेक्ट, बांध या किसी काम के लिए हमारे गांव की जमीन ली जाती है, लेकिन अब ग्राम सभा की अनुमति के बिना ऐसा नहीं हो सकेगा। पेसा कानून के जरिये ग्राम सभाओं को और अधिक अधिकार मिले हैं।

गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करें तो ग्राम सभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी। यदि ग्राम सभा को यह पता चलता है कि वह उस जमीन का कब्जा फिर से जनजातीय भाई-बहनों को दिलवाएगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे, पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नहीं हो सकेगी।


2. जल का अधिकार
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गांव में तालाबों का प्रबंध अब ग्राम सभा करेगी। आप चाहें सिंघाड़े लगाएं, आप चाहें मछली तो पालें और उससे जो आय होगी वह भी गांव के भाई-बहनों को प्राप्त होगी। इसका मतलब यह है कि ग्राम सभा तालाब/जलाशय में मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन आदि गतिविधियां कर सकती है। इससे होने वाली आमदनी ग्राम सभा को मिलेगी। तालाब में किसी भी प्रकार की गंदगी, कचरा, सीवेज आदि जमा न हो, प्रदूषित न हो, इसके लिए ग्राम सभा किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कार्यवाही कर सकेगी। 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा।

3. जंगल का अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेंदुपत्ता तोड़ने और बेचने का अधिकार भी ग्राम सभाओं को दिया जाएगा। गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए आने वाले धन से कौन सा काम किया जायेगा, इसे पंचायत सचिव नहीं बल्कि ग्राम सभा तय करेगी। इसका मतलब है कि ग्राम सभा अपने क्षेत्र में स्वयं या एक समिति गठित कर वनोपजों जैसे अचार गुठली, करंज बीज, महुआ, लाख, गोंद, हर्रा, बहेरा, आंवला आदि का संग्रहण, मार्केटिंग, मूल्य तय करना और बिक्री कर सकेंगे। एक से अधिक ग्राम सभा भी मिलकर यह काम कर सकती है। अभी तक या तो सरकार या फिर व्यापारी लघु वनोपजों का मूल्य तय किया करते है लेकिन अब रेट कंट्रोल की कमांड ग्राम सभा के माध्यम से हमारे जनजातीय भाई-बहनों के हाथ में होगी।

4. श्रमिकों के अधिकारों के संरक्षण का अधिकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गांव में कुछ एजेंट आते हैं। काम के लिए ले जाने की बात करते हैं। बाद में हमारे बेटे-बेटियां दिक्कत में फंस जाती हैं। पेसा के नियम आपको अधिकार दे रहे हैं कि हमारे गांव से कोई बेटा-बेटी जाएगा तो ले जाने वाले को पहले ग्राम सभा को बताना होगा। ले जाने वाला कौन है, कहां ले जा रहा है, यह भी उसे बताना होगा। ताकि जरूरत के वक्त उनकी मदद हो सकें, बिना बताए ले जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ग्राम सभा के पास काम के लिए बाहर जाने वाले सभी लोगों की सूची रहेगी। काम के लिए अपने गांव से ग्राम सभा को बिना बताए जाने को नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।

5. परंपराओं को बचाने का अधिकार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शराब की नई दुकानें बिना ग्रामसभा की अनुमति के नहीं खुलेंगी। शराब या भांग की दुकान हटाने की अनुशंसा का अधिकार भी ग्राम सभा को होगा। यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती है, यह मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए ग्राम सभा सहमत नहीं है। फिर दुकान नहीं खोली जाएगी। ग्राम सभा किसी स्थानीय त्यौहार के अवसर पर उस दिन पूरे दिन के लिए या कुछ समय के लिए शराब दुकान बंद करने की अनुशंसा कलेक्टर से कर सकती है। एक वर्ष में कलेक्टर चार ड्राय डे के अंतर्गत दुकान को बंद कर सकेंगे।

हर गांव में एक शांति एवं विवाद निवारण समिति होगी। यह समिति परंपरागत पद्धति से गांव के छोटे-मोटे विवादों का निराकरण कराएगी। इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी। यदि ग्राम के किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो तो इसकी सूचना पुलिस थाने द्वारा तत्काल गांव की शांति एवं विवाद निवारण समिति को दी जाएगी। मेले और बाजार का प्रबंध, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र ठीक चलें, आंगनवाड़ी में बच्चों को पोषण आहार मिले, आश्रम शालाएं और छात्रावास बेहतर तरीके से चलें, यह काम भी ग्राम सभा देखेंगी।




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