भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन को लगी मिर्ची, कहा दोनों देश लोकतंत्र पर प्रवचन देते रहते

भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन को लगी मिर्ची, कहा दोनों देश लोकतंत्र पर प्रवचन देते रहते

अमेरिका । भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन परेशान दिख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत और अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों पर बयान दिया हैं, बयान से चीन को मिर्ची लग गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों को लोकतंत्र पर प्रवचन देते हुए दिख रहे हैं। असल में, चीनी विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एंटनी ब्लिंकन के बयान को लेकर सवाल किया कि क्या अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन पर उंगली उठाई? इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने लोकतंत्र पर भावुक प्रवचन देना शुरू कर दिया। झाओ लिजियन ने कहा, मैं इस पर जोर देना चाहता हूं, कि लोकतंत्र मानवता का एक सामान्य मूल्य है। यह किसी देश का पेटेंट नहीं है।लोकतंत्र को साकार करने का तरीका एक निश्चित पैटर्न या केवल एक उत्तर के बिना विविध है। एक बहुदलीय राजनीतिक संरचना लोकतंत्र का एकमात्र रूप नहीं है और लोकतंत्र का इस्तेमाल टकराव को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका का नाम लिए बिना चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ देश खुद के लोकतांत्रिक होने का दावा करते हैं, लेकिन वे अन्य मुद्दों के साथ नस्लीय भेदभाव, राजनीतिक ध्रुवीकरण की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। क्या यह उस तरह का लोकतंत्र है जिस पर उन्हें गर्व है? बहरहाल, अमेरिका पर निशाना साधने के बाद झाओ लिजियन भारत पर बयान देना शुरु कर दिया। भारत में चुनाव में धन के इस्तेमाल और बयानबाजी पर चीनी प्रवक्ता ने कई बातें कहीं। रिपोर्ट के मुताबिक, झाओ लिजियन ने कहा, 'कुछ देशों में, पैसे के बिना आपको वोट नहीं मिल सकता। राजनीतिक दल अपने हितों को जनता से ऊपर रखते हैं। यह लोकतंत्र है या अमीरों का उत्थान? कुछ लोकतांत्रिक देशों में दूसरे लोगों का विकास अवरुद्ध होता है। ये लोकतंत्र है या आधिपत्य? क्या आप ऐसा लोकतंत्र चाहते हैं?'

लिजियन झाओ ने कहा कि कौन सा देश लोकतांत्रिक है और कौन सा निरंकुश है, यह तय करने का तरीका एक निश्चित देश द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'राजनीतिक व्यवस्था अच्छी है या नहीं, यह देखने का तरीका यह देखना है कि क्या यह समाज की प्रगति, बेहतर आजीविका मुहैया करा सकती है और क्या इसे लोगों का समर्थन हासिल है? क्या यह मानव जाति की प्रगति में योगदान दे सकती है?' जिस तरह से ब्लिंकन ने चीन का नाम नहीं लिया, उसी तरह चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी लोकतंत्र पर यह सब कहते हुए भारत या अमेरिका का नाम लिया है। लेकिन जिस समय और लहजे में उन्होंने ये बातें कहीं, उससे साफ था कि लोकतंत्र के मसले पर भारत-अमेरिका उसके केंद्र में थे।

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