सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बुधवार को इंडियन नेवी के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट को कबाड़ में बदलने पर रोक लगा दी गई. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उस कंपनी को भी नोटिस जारी किया है जिसने इस जहाज को खरीदा था. आईएनएस विराट छह मार्च को 2017 को रिटायर हो चुका है. यह कोई मामूली वॉरशिप नहीं थी बल्कि इंडियन नेवी की पहचान और इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा थी. आईएनएस विराट 29 वर्षों तक नौसेना के साथ रहा.
कारगिल की जंग का साइलेंट हीरो
आईएनएस विराट को दुनिया का सबसे पुराना और भारतीय नौसेना का लीजेंडरी एयरक्राफ्ट कैरियर होने का गौरव हासिल है. खुद में कई बरसों का इतिहास समेटने वाले विराट को साल 1999 में कारगिल की जंग के दौरान स्टैंडबाई मोड पर रखा गया था.
आईएनएस विराट नवंबर 1959 में बतौर एचएमएस हेरम्स के नाम के साथ ब्रिटिश नेवी का हिस्सा बनी . यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसके नाम पर सर्वाधिक नेवल ऑपरेशंस में शामिल होने का रिकॉर्ड है. आईएनएस विक्रमादित्य से पहले आईएनएस विराट इंडियन नेवी की पहचान और हिंद महासागर पर भारत का बादशाह था.
56 साल का सफर
आईएनएस विराट 12 मई 1987 को इंडियन नेवी में कमीशन हुआ था. इसके बाद इसका नाम एचएमएस हेरम्स से बदलकर आईएनएस विराट हो गया. इस वॉरशिप का निर्माण जून 1944 में शुरू हुआ था और 18 नवंबर 1959 में इसे रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था.
रॉयल नेवी से वर्ष 1985 में डी-कमीशंड होने के बाद यह वॉरशिप 56 वर्षों का सफर तय कर चुकी है. आईएनएस विराट दुनिया की सबसे पुरानी वॉरशिप है. इसलिए यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है.
पांच नेवी चीफ रहे हैं तैनात
वर्ष 2012 तक आईएनएस विराट ने 40,000 घंटे से ज्यादा का समय पानी पर बिता लिया था और इसने करीब दुनिया के सात समंदरों पर 5,00,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी. इसके अलावा इस एयरक्राफ्ट के डेक से 20,000 घंटे की फ्लाइंग का भी रिकॉर्ड दर्ज है.
पूर्व नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा आईएनएस विराट पर एग्जिक्यूटिव ऑफिसर थे. इसके अलावा पूर्व नेवी चीफ रिटायर्ड एडमिरल माधवेंद्र सिंह, रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश, रिटायर्ड एडमिरल निर्मल कुमार वर्मा और रिटायर्ड एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी आईएनएस विराट पर बतौर कमांडिंग ऑफिसर तैनात रहे हैं.
सबसे बड़ा ऑपरेशन विराट के नाम
आईएनएस विराट ने इंडियन नेवी के सबसे बड़े ऑपरेशन, ऑपरेशन ज्यूपिटर में अहम भूमिका अदा की थी. जुलाई 1989 में लॉन्च हुआ ऑपरेशन ज्यूपिटर भारत-श्रीलंका के बीच हुए एक समझौते के तहत शुरू हुआ था. इस ऑपरेशन के समय श्रीलंका में सिविल वॉर चल रहा था. इस वॉरशिप के जरिए कोच्चि से 76 सॉर्टीज को अंजाम दिया गया और 350 जवानों को पहुंचाया गया.
आईएनएस विराट की एयर स्क्वाड्रन में इंसास 300 सी फ्लाइंग हैरियर्स यानी ‘व्हाइट टाइगर्स’, इंसास 552 द ‘ब्रेव्स’ फ्लाइंग सी हैरियर्स, इंसास 321 ‘एंजल्स’ चेतक और इंसास 330 ‘हारपून’ फ्लाइंग सी किंग्स शामिल थे. इमरजेंसी के समय आईएनएस विराट से 30 हैरियर्स को एक साथ ऑपरेट किया जा सकता था.
प्रिंस चार्ल्स का पहला घर
23,900 टन वाली आईएनएस विराट 226.5 मीटर लंबी और 48.78 मीटर चौड़ी वॉरशिप थी. इस वॉरशिप पर 150 ऑफिसर्स और 1500 सेलर्स का क्रू की क्षमता है. यह वॉरशिप एक मिनी-सिटी की तरह है. इसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो से लेकर एक हॉस्पिटल और डेंटल सेंटर तक है.
आईएनएस विराट जब रॉयल नेवी का हिस्सा थी तो उस समय वर्ष 1975 में प्रिंस चार्ल्स ने इसे 845 नेवल एयर स्क्वाड्रन के पायलट के तौर पर ज्वॉइन किया. प्रिंस चार्ल्स उसी समय हेलीकॉप्टर पायलट बने थे. आईएनएस विराट में प्रिंस चार्ल्स के नाम पर एक कमरा था और प्रिंस चार्ल्स अपने नाम वाले कमरे में ही रहते थे.