Covid-19:संक्रमण ठीक होने के बाद भी लोगों में दिखाई दी कई तरह की दिक्कतें

कोरोना वायरस का हमला पूरे शरीर को तोड़कर रख देता है। यही वजह है कि संक्रमण से ठीक होने के बाद भी तमाम लोगों में कई तरह की समस्याएं देखी जा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में ठीक हुए लोगों का सर्वे किराया। पता चला कि ज्यादातर मरीजों में सांस लेने में तकलीफ, दिल की बीमारी, तंत्रिका तंत्र मे समस्याएं सामने आ रही हैं। बच्चों में प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रियाएं ज्यादा देखने को मिली हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर विस्तृत डाटा तैयार कर रहा है।
राजीव गांधी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर बीएल शेरवाल ने बताया कि उनके यहां शुरू हुए पोस्ट कोविड क्लीनिक में ठीक हो चुके लोग रोज अलग-अलग समस्याएं लेकर आ रहे हैं। इनमें कमजोरी, थकान, सांस लेने में दिक्कत और डायरिया की समस्या के मामले अधिक हैं। चेहरे पर काले धब्बे और शरीर या गर्दन पर निशान के मामले अभी नहीं देखे गए हैं। कुछ लोगों में सूंघने की शक्ति खत्म हो जाना जैसी दिक्कतें आ रही हैं। लोगों को पूरी तरह ठीक होने में समय लग सकता है। आइए जानते हैं कि मरीजों को किस तरह की समस्याएं झेलनी पड़ रहीं।
त्वचा पर धब्बे-
मरीजों की त्वचा पर धब्बे भी दिखाई दे रहे हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पूर्व त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धर्मवीर ने बताया कि यह धब्बे शरीर के उन हिस्सों पर देखने को मिले, जहां वाहिकाओं में रक्त का बहाव खराब होता है। इसकी वजह से रोगी की त्वचा का रंग गहरा लाल या नीला हो जाता है। ऐसे लक्षण  दिखने पर तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञों की सलाह ली जानी चाहिए।
कमजोरी- 
आईसीयू से लौटे ज्यादातर लोगों को थकान व कमज़ोरी महसूस हो रही है। कई लोग तो बेड से उठकर बाथरूम जाने में भी मुश्किल महसूस कर रहे हैं। तमाम लोगों को चक्कर भी आ रहे। कुछ मरीजों ने बताया कि उन्हें सीढ़ियाँ चढ़ने में परेशानी हो रही और जल्दी गुस्सा भी आने लगा है। यहां तक कि कई दिनों तक डरावने सपने भी आ रहे। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि यह सामान्य प्रक्रिया है और धीरे-धीरे मरीज इससे उबर जाते हैं।
सांस लेने में दिक्कत-
वायरस का हमला सीधे फेफड़ों पर पड़ रहा है, इसलिए ठीक होने के बाद भी ज्यादातर मरीजों के फेफड़े पूरी तरह ठीक नहीं होते। फेफड़ों की कार्यक्षमता में 50 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। ब्रिटेन के नार्थ ब्रिस्टल एनएचएस ट्रस्ट के एक अध्ययन के मुताबिक,  महामारी से ठीक हुए 110 मरीजों में से 81 को सांस लेने में दिक्कत, बार-बार बेहोशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी हुई है। एक फीसदी मरीजों में यह परेशानी जिंदगी भर बनी रह सकती है।
हल्का बुखार-
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एनएचएस के एक अध्ययन के मुताबिक, जिन मरीजों में लक्षण नजर आते हैं, उनमें ठीक होने के महीनों बाद भी हल्का बुखार पाया गया। हालांकि, यह इतना ज्यादा नहीं था कि मरीज को कोई खास परेशानी हो। जोड़ों में दर्द, बदन में दर्द व उदासी भी इन मरीजों में साफ नजर आया।
गले में खरास-
स्वाद न आना व सूंघने की क्षमता का कम होना कोरोना का प्रमुख लक्षण है लेकिन ठीक होने के बाद भी तमाम मरीजों में यह समस्या बनी रह सकती है। कई लोगों के गले में खराश की दिक्कत भी आ रही है। जिन लोगों में संक्रमण जितना ज्यादा होता है, उनमें यह लक्षण भी उतने ही ज्यादा नजर आते हैं।
तंत्रिका तंत्र पर असर-
वायरस का तंत्रिका तंत्र पर भी सीधा हमला हो रहा है। इसकी वजह से महामारी से ठीक होने के बाद भी कई लोगों की नसों में लकवा की शिकायत सामने आई है। कभी-कभी ये दिमाग पर भी असर करता है, जिससे याददाश्त प्रभावित होती है। इतना ही नहीं झनझनाहट, पसीना आना जैसी समस्या भी दिख रही है।
विशेषज्ञों की राय-
इलाज के दौरान शरीर में बने एंटीजन इम्यून सिस्टम में व्यापक बदलाव हो जाते हैं। ज्यादा दवाएं लेने की वजह से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र अतिप्रतिक्रिया करने लगता है। इसी वजह से बदन दर्द, बुखार, कमजोरी व थकान जैसी समस्याएं होती हैं।
डॉ. शरद जोशी 
मरीजों की जान ले रहा बढ़ा हुआ पोटेशियम-
कोरोना वायरस पहले गले और फेफड़ों को संक्रमित कर रहा था लेकिन अब चंद घंटों में मरीजों के शरीर में पोटेशियम बढ़ा देता है। इससे किडनी और हार्ट फेल हो रहे हैं। इसके चलते हैलट के न्यूरो कोविड हॉस्पिटल में तीन दिन में तीन कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. एसके गौतम ने बताया कि पोटेशियम मांसपेशियों (हार्ट सहित) के संकुचन और कई जटिल प्रोटीन के कामकाज के लिए अहम तत्व है।
यह सोडियम के साथ मिलकर शरीर में तरल पदार्थों और शरीर की कोशिकाओं के बीच सामान्य प्रवाह बनाने में मदद करता है। शरीर के पोटेशियम को गुर्दे से नियंत्रित किया जाता है। अब कोरोना वायरस किडनी पर हमला कर पोटेशियम इतना बढ़ा देता है कि किडनी काम करना बंद कर देती है। इससे पोटेशियम कोशिकाओं से खून में बड़ी मात्रा में चला जाता है और पूरे शरीर में इसकी भारी वृद्धि हो जाती है।
बेहद जरूरी है कि मरीज समय पर कोविड हॉस्पिटल पहुंच जाएं तो दवाओं से इसे नियंत्रित कर सकते हैं। कोरोना के चलते इस जटिलता पर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है। ऐसे में लगातार मरीजों ही नहीं, आम लोगों को भी पानी पीते रहना होगा।

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