नई दिल्ली : पूरी दुनिया में इस वक्त कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है और इस वायरस की वजह से त्यौहारों की रौनक पूरी तरह से उड़ गई है। लोगों के चेहरों पर उदासी है। 26 मई को पूरी दुनिया में ईद का त्योहार मनाया जायेगा लेकिन इस वक्त देश के जो हालात चल रहे हैं, उसे देखा जाए तो लोग इस बार ईद पर गले मिलकर एक दूसरे को त्यौहार की मुबारकबाद नहीं दे सकेंगे।
किसी से दुश्मनी निभानी है तो गले मिलनाचीफ इमाम ऑफ इंडिया डॉ. इमाम उमेर अहमद इल्यासी ने बताया, "कोरोना वायरस बीमारी हमेशा तो नहीं आती लेकिन ईद हमेशा आती है। पूरी दुनिया कोरोना वायरस से ग्रस्त है और ईद की खुशी यही है कि हम गले न मिलें और हाथ न मिलाएं।"
उन्होंने आगे कहा, "ईद पर गले मिलने का मतलब होता है कि अगर आपकी किसी से दुश्मनी या मनमुटाव है तो उनको बुला कर गले मिलें जिससे कि वो मनमुटाव खत्म हो और फिर से दिल मिल सकें। इस वक्त किसी से दुश्मनी निभानी है तो गले मिलना चाहिए, अगर मोहब्बत निभानी है तो दूर रहना चाहिए। अगर आप इस वक्त दूर से ही सलाम करते हो या मुबारकबाद देते हो, तो हम खुद भी बचते हैं और दूसरों को भी बचाते हैं। ईद जिंदा करने का नाम है, ईद खुशियों का नाम है और हम यही तोहफा दे सकते हैं।"
जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बताया, "देश में कोरोना वायरस बढ़ता जा रहा है और यह जरूरी है कि ईद के समय में एहतियात बरती जाए। ईद पर जैसे लोग गले मिलते हैं, उसमें अब हमें एहतियात बरतनी होगी। हालात ऐसे हैं कि हमें इस वक्त टेलीफोन से ही मुबारकबाद देनी होगी। यही तरीका इस वक्त हो सकता है।
अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं लोग
उन्होंने कहा, जो गाइडलाइन्स मेडिकल एक्सपट्र्स और डब्लूएचओ की तरफ से आ रही हैं, हमें उन सभी बातों को अमल करना होगा। हमारे अपनों के लिए, हमारे परिवार के लिए हमारे पड़ोसी और मुल्क में रहने वाले लोगों के लिए। हालातों ने मजबूर कर दिया है और इस बीमारी की वजह से लोग बेरोजगार हुए हैं। इससे आज लोग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं। लोगों के पास खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
घरों में तो जरूर बनाएं सेवइयां और पकवान
फिरंगी महली इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और लखनऊ ईदगाह के इमाम खालिद रशीद ने बताया कि ईद पर लोग अपने घरों में सेवइयां और पकवान तो जरूर बनाएं। ईद की खुशी जरूर जाहिर करें लेकिन न किसी से हाथ मिलाएं और न ही किसी के गले मिलें। हमने अपील भी की है कि जिस तरह घर में लोग अपना बजट बनाते हैं, उस बजट का 50 प्रतिशत गरीबों को दान करें क्योंकि पूरे मुल्क में लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं और लोगों को ईद से पहले फितरा (चैरिटी) भी दे दें, जिससे गरीब भी ईद की खुशियां मना सकें और ईद में शामिल हो सकें।
ईद की नमाज भी मस्जिदों में नहीं पढ़ी जा सकेगी
आगरा जामा मस्जिद के इमाम इरफान उल्हा निजाम ने कहा, इस बार ईद की खुशी तो रहेगी लेकिन उतने उत्साह से मनाई नहीं जा सकेगी। इस ईद पर बहुत ज्यादा ऐहतियात बरतने की जरूरत है। ईद उल फितर यानि रोजा रखने और पूरा करके उसे खोलने की खुशी, जाहिर सी बात है कि जिस इंसान ने रमजान के महीने में रोजा रखा होगा, उनकी खुशी उतनी ही होगी लेकिन साथ ही इस बात का गम भी जरूर होगा कि ईद की नमाज भी इस बार मस्जिदों में नहीं पढ़ी जा सकेगी।
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