उफनती नदी पार करने के लिए जुगाड़ का सहारा लेते हैं ग्रामीण, बड़े हादसे की आशंका

मध्यप्रदेश के मंदसौर के ग्रामीण अंचलों में बारिश के मौसम में पानी भरे नदी नालों को लोग जान को जोखिम में डालकर जुगाड़ के सहारे पार करते हैं. कहीं पर यह रास्तों के अभाव के कारण होता है, तो कहीं शॉर्टकट के चक्कर में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर उफनते नदी-नाले पार करते हैं. ऐसा ही कुछ हाल है जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित दमदम गांव का, जहां ग्रामीण 4 प्लास्टिक के ड्रम पर पटिये बांधकर नदी पार करते हैं.
इस जुगाड़ की नाव के सहारे लगभग 200 लोग प्रतिदिन इस स्थान से सोमली नदी को पार करते हैं. दरअसल, गांव के किसानों की जमीन सोमली नदी के उस पार है. ऐसे में खेती के काम के लिए रोजाना गांव वालों को अपने खेतों पर जाना पड़ता है. इस जुगाड़ के जरिए जहां रास्ता एक से डेढ़ किलोमीटर होता है. वहीं अगर वे सड़क के रास्ते घूम कर जाते हैं तो दूरी तकरीबन 18 किलोमीटर हो जाती है. ऐसे में जुगाड़ के जरिए यह लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इसी तरह से रोजाना अपने पालतू पशुओं और बच्चों के साथ नदी को पार करते हैं.
ऐसा ही कुछ हाल जिले के कई ग्रामीण अंचलों का है. जहां पर बारिश के मौसम में कहीं रास्तों के अभाव में तो कहीं पर शॉर्टकट होने के कारण हजारों लोग इसी तरह अपनी जान को जोखिम में डालकर जुगाड़ के तरीकों से नदी नालों को पार करते हैं. दमदम गांव की निवासी ममता के अनुसार नदी को पार करते समय उन्हें डर भी लगता है कि कहीं नाव पलट ना जाए. उन्हें तैरना भी नहीं आता, लेकिन मजबूरन उन्हें इसी तरीके को अपनाना पड़ता है.
यहां के किसानों का कहना है कि अधिकतर किसानों के खेत नदी के उस पार हैं. नदी कोस ड्रम वाली जुगाड़ के सहारे पार करने पर यह दूरी महज 1 किलोमीटर होती है, लेकिन अगर वह दूसरे रास्ते से आते हैं तो 20 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है इसीलिए अधिकतर लोग इसी तरह जान को जोखिम में डालकर ड्रम के इस जुगाड़ के जरिए ही नदी को पार करते हैं.
 

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