सचिन रमेश तेंदुलकर: न भूतो, न भविष्यति!

नई दिल्ली 22 अप्रैल, 1998... भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया... शारजाह... कोका-कोला कप. मैच नंबर 6. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 284 रनों का पहाड़-सा स्कोर बनाया. भारत को फाइनल में जाने के लिए जरूरत थी, जीत की. लेकिन तभी शारजाह में रेतीला तूफान आ गया और स्कोर को छोटा कर दिया गया. लेकिन जब तूफान रुका तो मैदान के अंदर एक तूफान आया, जिसने पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को उड़ा दिया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा दिया. इस तूफान का नाम था सचिन रमेश तेंदुलकर.

सौरव गांगुली के साथ ओपनिंग करने उतरे सचिन ने मानो मन में कुछ ठान रखा हो. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को जिस तरह खेलना शुरू किया वो गुस्सा बल्लेबाजी में दिख रहा था. सचिन ने लगातार शेन वार्न, कास्प्रोविज़, स्टीव वॉ, टॉम मूडी किसी को नहीं बख्शा. और आगे बढ़-बढ़ कर छक्के जड़े. भारत ये मैच हार गया था, लेकिन नेट रन रेट के दम पर फाइनल में जगह बना ली थी. दो दिन बाद जब फाइनल हुआ तो फिर ऐसा ही नज़ारा था.

फाइनल में भी सचिन ने 134 रनों की पारी खेली और इसी तरह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी. सचिन के छक्के, टोनी ग्रेग की आवाज़ और शारजाह. सचिन की इन दोनों पारियों को शारजाह स्टॉर्म का नाम दिया गया, यानी शारजाह में सचिन का तूफान. सचिन तेंदुलकर के लगभग 25 साल के करियर में ना-जाने कितने ऐसे पल या पारियां आईं जो उन्हें दूसरे खिलाड़ियों से अलग कर देती ये दो पारियां भी उन्हीं में से एक रही.
15 नवंबर, 1989 को जब कराची में 16 साल का बच्चा पाकिस्तान के खूंखार गेंदबाजों के आगे बल्लेबाजी करने उतरा. तो किसी ने नहीं सोचा था ये ही बच्चा 'क्रिकेट का भगवान' कहलाएगा. मास्टर ब्लास्टर, गॉड ऑफ क्रिकेट, तेंदल्या ना जाने कितने नाम हैं सचिन के. ये सचिन ही जिसने लगभग 25 साल तक भारतीय फैंस की उम्मीदों को अपने कंधे पर जिया और लगभग हर बार उन उम्मीदों पर खरा भी उतरे.

सचिन ने इस देश में क्रिकेट देखने के नज़रिये/तरीके को बदल दिया. क्योंकि 90 के दशक में जब सचिन अपने चरम पर थे, हिंदुस्तान में टीवी सचिन की बल्लेबाजी के साथ खुलते थे और उनके आउट होने के बाद बंद हो जाते थे. सचिन के लिए लाखों लोग उपवास रखते थे, पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी कह चुके हैं कि वो कहकर रहते थे कि जब सचिन बैटिंग करने आए तो मेरे को उठा देना. ये सचिन ही थे, जिनकी वजह ना जाने कितने बच्चों का नाम ही देश में सचिन हो गया क्योंकि उनके माता-पिता को सचिन पसंद है.

सचिन एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने बल्लेबाज बना दिया. और बल्लेबाज भी ऐसे कि क्रिकेट जगत के सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर दिए. सचिन अपने शुरुआती करियर में नीचे बल्लेबाजी करने आते थे, लेकिन 1994 में तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के एक फैसले ने सचिन की बल्लेबाजी को पूरी तरह से बदल दिया और शायद भारतीय वनडे क्रिकेट को भी.
27 मार्च 1994 का दिन क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ. वनडे करियर के 70वें मैच में सचिन को ओपनिंग मौका मिला, जिसका उन्होंने भरपूर फायदा उठाया और एक के बाद एक कीर्तिमान अपने नाम करते गए. 1994 के न्यूजीलैंड दौरे में टीम इंडिया के नियमित ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू की गर्दन में परेशानी की वजह से सचिन से पारी का आगाज कराया गया. सचिन भी यही चाहते थे, इसके लिए वे कप्तान अजहरुद्दीन और मैनेजर अजीत वाडेकर से अपील भी कर चुके थे. इस मैच में सचिन ने 49 गेंदों में 82 रन ठोक दिए.

बतौर ओपनर सचिन ने कई कीर्तिमान स्थापित किए...

# ओपनर के रूप में सचिन ने 344 मैचों में 48.29 की औसत से सर्वाधिक 15310 रन बनाए.

# निचले क्रम पर उन्होंने 119 मैचों में 33 की औसत से 3116 रन बनाए.

# सचिन के वनडे करियर के कुल 49 में से 45 शतक ओपनिंग करते हुए आए.

# वनडे का उनका पहला शतक 79वें मैच में आया, वह भी ओपनिंग करते हुए.

सचिन के नाम ना जाने कितने रिकॉर्ड दर्ज हैं. वनडे, टेस्ट क्रिकेट समेत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन, शतक का कीर्तिमान उनके नाम ही है. जो शायद अटूट ही लगता है. सचिन का करियर और कुछ रिकॉर्ड पर नज़र...

# 200 टेस्ट मैच, 15921 रन. 51 शतक, 68 अर्धशतक. औसत 53.78

# चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए करीब 13,492 रन. औसत 44.83

# 463 वनडे मैच, 18426 रन. 49 शतक, 96 अर्धशतक.

# 2278 रन, सिर्फ वर्ल्ड कप में. 2003 वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा 673 रन.

# वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे ज्यादा 3077 रन, उसके बाद श्रीलंका 3133 रन.

# वनडे में 200 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज.

# 62 बार मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड.

# 15 बार मैन ऑफ द सीरीज़ का अवॉर्ड.

# ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सबसे ज्यादा 9 शतक.

# 7 बार एक ही साल में 1000 से ज्यादा रन.

सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट से अलविदा कहे हुए लगभग 5 साल हो गए हैं. लेकिन इन पांच में साल में ना क्रिकेट सचिन से दूर गया और ना ही फैंस. आज भी अगर सचिन कहीं खड़े हो जाए या उनकी झलक दिख जाए तो सचिन-सचिन की आवाज़ गूंज उठती है. सचिन अभी भी आईपीएल में मुंबई इंडियंस के साथ बतौर मेंटर जुड़े हुए हैं.

आज के समय में एक चर्चा हमेशा बनी रहती है क्या कोई सचिन के रिकॉर्ड को तोड़ पाएगा. इस कड़ी में सबसे ज्यादा नाम आता है भारतीय कप्तान विराट कोहली का. विराट का करियर अभी तक जिस तरह से रहा है और वह जितने रन और शतक बना चुके हैं, हो सकता है विराट सचिन का रिकॉर्ड तोड़ भी दें. अगर ऐसा होता है तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी, एक बार सचिन ने खुद कहा था कि रोहित शर्मा और विराट कोहली ऐसे बल्लेबाज हैं जो उनके रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं.

लेकिन ये भी सच है कि कोई भी बल्लेबाज सिर्फ आंकड़ों में ही सचिन के रिकॉर्ड को तोड़ सकता है. 1989 से 2013 तक जिस तरह सचिन ने अपने करियर को जिया और इन सालों में जिस तरह हर भारतीय क्रिकेट फैन के दिल में वो हमेशा उम्मीद की किरण रहे. शायद वो चीज़ कभी कोई दूसरा क्रिकेटर नहीं कर पाएगा. सचिन तेंदुलकर के जितना लंबा करियर आज के समय में संभव नहीं है और ना ही सचिन जैसा जज्बा किसी में दिखता है.

सचिन ने अपने करियर के कई साल चोट में गुजार दिए लेकिन खेलने की जिद ऐसी रही कि फिर लड़े और फिर वापस आए. बल्लेबाज आएंगे, जाएंगे, रिकॉर्ड बनेंगे, टूटेंगे. लेकिन सचिन रमेश तेंदुलकर एक ही रहेगा. इसलिए सचिन रमेश तेंदुलकर, न भूतो-न भविष्यति.
हैप्पी बर्थडे सचिन तेंदुलकर.

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