क्रिप्टोकरेंसी ने युवाओं को काफी तेजी से अपनी ओर आकर्षित किया है, जिससे युवाओं का एक बड़ा तबका निवेश के लिए क्रिप्टोकरेंसी को अपना रहा है। ऐसे युवाओं को फाइनेंशियल मार्केट में लाने के लिए एंट्री पॉइंट्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक जमाना था, जब निवेश करने वाले अक्सर शेयर बाजार की खबरों पर नजर रखते थे। आज भी ऐसे ही लोग इंटरनेट पर शेयर बाजार के उठते-गिरते भाव यानि ग्राफ पर नजर टिकाए रहते हैं। यूं तो लंबे समय से शेयर बाजार के अलावा म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, गोल्ड और ईटीएफ में भी निवेश किया जा रहा है, लेकिन इस मामले में अब एक नया विकल्प मिल गया है, जहां युवा निवेश के मामले में सबसे आगे हैं। यह डिजिटल दुनिया की डिजिटल करेंसी यानि क्रिप्टोकरेंसी है। यह एक ऐसी दुनिया है, जो किसी एक देश के दायरे तक सीमित नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ी लोगों की रुचि
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी चर्चा हो रही है। ब्रोकर डिसक्वरी और कॉम्पेरिसन प्लेटफॉर्म BrokerChooser के अनुसार, भारत में 100 मिलियन से भी ज्यादा भारतीय क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड कर रहे हैं। ये नंबर दुनियाभर में सबसे ज्यादा हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया का हिस्सा ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल के मुताबिक, क्रिप्टो में निवेश करने वालों में न सिर्फ अनुभवी निवेशक, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवा भी शामिल हैं। इन युवाओं ने करीब छह लाख करोड़ रुपये तक क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किए हैं।
नंदन नीलेकणि ने कही अहम बात
इसके बावजूद भारत में एक तबका ऐसा भी है, जो क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का समर्थन कर रहा है, क्योंकि बैन का समर्थन करने वालों को डिजिटल करेंसी से खतरा नजर आ रहा है। दूसरी तरफ इसके भविष्य को लेकर बेहद संजीदा और आशावान युवा है। यही वजह है कि मोदी सरकार भी संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने जा रही है। हालांकि, सरकार ने यह साफ कर दिया है कि उसका इरादा निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने का है। इस बीच देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में बयान देते हुए कहा है कि क्रिप्टो एसेट्स का इस्तेमाल देश में और ज्यादा वित्तीय समावेश के लिए किया जा सकता है। नीलेकणि ने रॉयटर्स नेक्स्ट कॉन्फ्रेंस में भविष्य में एसेट्स के रूप में क्रिप्टो की भूमिका को अहम बताया।
भारत सरकार के कदम पर नजर
उधर, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिडनी संवाद के दौरान कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देशों को एक साथ काम करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाए और हमारा युवा बर्बाद न हो। यकीनन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अपराधिक गतिविधियों में भी होने की आशंका है, जिसका रिकॉर्ड रख पाना मुश्किल जरूर है, लेकिन नाममुकिन नहीं। सवाल यह है कि बड़े नामी अपराधी अक्सर काम के बदले किसी देश की करेंसी, शेयर्स या प्रॉपर्टी का इस्तेमाल करते हैं तो क्या इनके इस्तेमाल को बैन कर देना चाहिए? सरकारी एजेंसियों अपराध और अपराधियों पर निगाहें टिकाए रहती हैं। उनकी हरकतों को ट्रैक किया जाता है, जिससे अपराध को रोका जा सके। क्रिप्टोकरेंसी के मामले में भी केवाइसी के जरिए ट्रांजेक्शन पर निगाह रखी जा सकती है। ऐसे में भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉड्रिंग का जरिया न बने। वर्चुअल करेंसी को रेगुलेट करने को लेकर सरकार की एससी गर्ग समिति ने अपनी रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है। इसके अलावा सरकार के पास कई मंत्रालयों की एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट भी है।
युवाओं को आकर्षित कर रही क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी ने युवाओं को काफी तेजी से अपनी ओर आकर्षित किया है, जिससे युवाओं का एक बड़ा तबका निवेश के लिए क्रिप्टोकरेंसी को अपना रहा है। ऐसे युवाओं को फाइनेंशियल मार्केट में लाने के लिए एंट्री पॉइंट्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मेरा मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी एक दिन भविष्य की करेंसी साबित होगी, क्योंकि युवाओं को इस पर भरोसा है। यह सरकारी जिम्मेदारी है कि इससे होने वाले अपराधिक गतिविधियों को कैसे रोका जाए? अब बात क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे की। युवाओं के इस ओर आकर्षित होने की वजह साफ है, कम दाम और कम समय में होने वाले ज्यादा मुनाफे की उम्मीद। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के भाव गिरने पर आपकी लगाई रकम कम या डूब सकती है, लेकिन आपने धैर्य रखा और थोड़ा इंतजार किया तो क्रिप्टो का भाव कभी भी आसमान छू सकता है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में 24x7 उतार-चढ़ाव होता है। वहीं, शेयर बाजार का खुलने और बंद होने का समय तय है।
शिबा इनु में लोगों ने कमाया मुनाफा
इस मिसाल से इस मसले को समझा जा सकता है कि दीवाली के वक्त शिबा इनु नाम की एक करेंसी/टोकन ने काफी चर्चा बटोरी थी, क्योंकि इस करेंसी के लाखों क्वाइंस कुछ हजार रुपये में खरीदे जा सकते थे। जिस व्यक्ति ने 10-12 अक्तूबर के आसपास आठ हजार रुपये के क्वाइंस लिए थे, 30 अक्तूबर तक वे करीब 30 हजार बन चुके थे। कुछ लोगों इन पैसों की निकासी कर ली, लेकिन कुछ ने ज्यादा इंतजार किया। इस बीच भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी के बैन होने की खबर फैली तो तमाम छोटी-बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के भाव धड़ाम से नीचे आ गिरे। ऐसे में पैसा डूब जाने या कम होने के डर से काफी लोगों ने अपना पैसा निकाल लिया। हालांकि, काफी लोगों ने धैर्य बनाए रखा। पिछले 3-4 दिनों में शिबा इनु करेंसी का ग्राफ सभी क्रिप्टो क्वाइंस के मुकाबला तेजी से ऊपर जा रहा है। भारत में शिबा इनु से काफी युवाओं को बड़ी उम्मीद है। सेन डिएगो में रहने वाली और 2015 से क्रिप्टो करेंसी पर रिसर्च कर रही शिखा शर्मा का मानना है कि शिबा इनु जैसी करेंसी का भविष्य में एक डॉलर तक पहुंचना भी मुश्किल है, क्योंकि उसका मार्केट कैप काफी कम है। शिबा इनु जैसी करेंसी शॉर्ट टर्म इंवेस्टमेंट के लिए एक विकल्प हो सकती है।
Cryptocurrency History: सोने से ज्यादा 'सोणी' क्यों क्रिप्टोकरेंसी, कहां से आई और कैसे छाई, जानें सब कुछ
नियमों पर युवाओं का भी फोकस
आज युवा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करके छोटा-छोटा मुनाफा ले रहे हैं, क्योंकि उनका मकसद है कि 5-10 हजार रुपये लगाकर कीमत 15-20 हजार हो जाने पर तत्काल प्रभाव से विड्रॉल कर लेना है। ग्रेटर नोएडा में रहने वाले 34 वर्षीय कमलेश ने भी क्रिप्टोकरेंसी में थोड़े रुपये इनवेस्ट किए हैं। उनका मानना है कि भारत में किसी भी तरह से क्रिप्टो को बैन न करके इसे रेगुलेट करना चाहिए। हालांकि, इसमें भी नियमों को कुछ समय के लिए लचीला रखा जाए, जैसा साउथ कोरिया के वित्त मंत्रालय ने क्रिप्टो प्रॉफिट्स पर टैक्स लगाने की योजना को करीब एक साल के लिए टाल दिया है।