राज्यपाल मंगूभाई पटेल बैतूल में आदिवासी परिवार के घर करेंगे भोजन, तवानगर तवा रिसोर्ट में होगा रा

राज्यपाल मंगूभाई पटेल बैतूल में आदिवासी परिवार के घर करेंगे भोजन, तवानगर तवा रिसोर्ट में होगा रा


मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल 3 अगस्त को दो दिवसीय दौरे पर नर्मदापुरम संभाग के बैतूल और होशंगाबाद आएंगे। राज्यपाल पटेल देश के पहले सोलर विलेज बांचा का दौरा करेंगे। वे यहां ग्रामीणों से हितग्राहीमूलक योजनाओं पर चर्चा करेंगे। साथ ही आदिवासी ग्रामीण परिवार के साथ भी भोजन करेंगे। फिर राज्यपाल होशंगाबाद जिले के तवा डैम किनारे स्थित तवा रिसोर्ट में पहुंचेंगे। जहां रात्रि विश्राम होगा।

सोमवार शाम को राज्यपाल का अधिकृत दौरा निर्धारित हुआ। राज्यपाल 3 अगस्त मंगलवार सुबह सड़क मार्ग से रवाना होकर दोपहर 12 बजे गांव बाचा पहुचेंगे। जहां वे महिला स्व सहायता समूह की सदस्य महिलाओ से संवाद कर उनकी आजीविका और समस्या संबंधी विषयों पर चर्चा करेंगे। वे यहां आदिवासी ग्रामीणों के साथ भोजन भी करेंगे।

महामहिम गांव के भ्रमण के बाद शाहपुर में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अवलोकन करेंगे। दोपहर 2 बजे वे भौरा गेस्ट हाउस में विश्राम कर तवा डैम होशंगाबाद के लिए रवाना हो जाएंगे। राज्यपाल के दौरे को लेकर होशंगाबाद और बैतूल जिला प्रशासन सोमवार सुबह से ही तैयारी में जुटा रहा। शाम को प्रशासन और पुलिस दोनों ने तवा रिसोर्ट व पिपरिया कलां पहुंंच तैयारियां शुरू की।

पिपरिया कलां में भी ग्रामीणों से मिलेंगे राज्यपाल
राज्यपाल मंगूभाई पटेल 3 अगस्त को तवा रिसोर्ट में रात्रि विश्राम के बाद 4 अगस्त बुधवार सुबह 10 बजे यहां विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं/ कार्यों की समीक्षा करेंगे। 11 बजे जिले के ग्राम पिपरियाकला का भ्रमण करेंगे एवं ग्रामीणों से चर्चा करेंगे। यहां भी गांव में ही राज्यपाल लंच करेंगे। 1.30 बजे राज्यपाल भोपाल राजभवन रवाना होंगे।

बाचा गांव के सभी 76 घरों में सोलर चूल्हों में पकता है खाना
टाटा इंस्टिट्यूट मुम्बई के मार्गदर्शन में भारत भारती शिक्षा समिति ने इस गांव को सोलर विलेज बनाने के लिए सोलर पीवी कुक स्टोव प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके साथ ही यह गांव धुंआ रहित गांव बन गया है। इस प्रोजेक्ट के लगने से अब ग्रामीणों को लकड़ी लाने जंगल नहीं जाना पड़ता। जबकि इसे जलाने में न तो समय लगता है और न धुंआ होता है। पिछले 18 जनवरी को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां इस प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया था।

जल संरक्षण में भी मिसाल बना
76 घरों के इस गांव में हर परिवार ने बारिश का पानी सहेजने के लिए अपने आंगन, बाड़ी में वाटर हार्वेस्टिंग की तर्ज पर सोख्ता गड्ढा बनाकर वर्षा जल को जमीन में भेजने की सरचनाये तैयार की है। खास बात यह है कि इन संरचनाओं के लिए न तो उन्होंने कोई सरकारी मदद ली है और न ही कोई सरकारी अनुदान। स्वप्रेरणा से हर परिवार ने यहां दो से तीन मीटर लंबे,दो मीटर चौड़े और चार मीटर गहरे गड्ढे तैयार कर उन गड्ढो में बोल्डर,रेत,बजरी,गिट्टी,ईट भरकर उनमें वर्षा जल भरना शुरू किया है।

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