भारतीय किसान संघ ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान, कल फूकेंगे पीएम मोदी का पुतला



 नई दिल्ली: किसानों और सरकार के बीच नए संशोधित कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब चरम पर पहुंच गया है। भारतीय किसान संघ ने आगामी 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसानों ने अब सीधे तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करना शुरू कर दिया है। इसी सिलसिले में कल यानी शनिवार को दिल्ली बॉर्डर पर पीएम मोदी का पुतला फूंकने का कार्यक्रम रखा गया है। माना जा रहा है कि देश में गैर बीजेपी शासित प्रदेशों में बंद का खासा असर देखने को मिल सकता है। 

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र में तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी। जिसको लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान बेहद आक्रोशित हैं। किसानों के आंदोलन को विभिन्न राज्यों से भी समर्थन मिल रहा है। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की यात्रा विफल हो चुकी है। किसान संगठन लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानून के दायरे में लाने की जिद कर रहे हैं। जबकि सरकार इसके लिए राजी नहीं है। 

किसानों ने आगामी 8 दिसंबर को भारत बंद और 5 दिसंबर को बड़े प्रदर्शन की तैयारी की है। भारतीय किसान यूनियन (BKU-Lakhowal) के महासचिव एचएस लाखोवाल ने सिंघू बॉर्डर पर मीडिया को इस बारे में जानकारी दी। लाखोवाल के मुताबिक किसानों की तरफ से सरकार को दो टूक शब्दों में नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए कह दिया गया है। 5 दिसंबर को देशभर में पीएम मोदी को पुतला जलाने के कार्यक्रम का भी ऐलान किया गया। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोलाह के मुताबिक इस विरोध को और आगे बढ़ाया जाएगा। किसानों के प्रतिनिधि नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार जब तक कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। 

गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का जत्था अब भी डटा हुआ है। किसान नेता राकेश टिकैत के अलावा विभिन्न संगठनों की उपस्थिति देखी जा रही है। किसानों के ऐलान के बाद उम्मीद जाहिर की जा रही है कि विपक्षी पार्टियों की ओर से भी बंद को समर्थन मिलेगा। 

दिल्ली के ही एडवोकेट ओम प्रकाश परिहार ने किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में उन्होंने कहा कि देश में कोरोना महामारी फैली हुई है, ऐसे में किसानों को तत्काल हटाने के आदेश दिए जाएं, ताकी कोरोना का जोखिम कम हो सके। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को इंतजार है। जानकार बताते हैं कि कोर्ट के आदेश पर भले किसी खास जगह से किसानों को हटा दिया जाय, लेकिन उनके गुस्से पर काबू पाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। 

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